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आस्था व विश्वास का महापर्व है-छठ पूजा संपन्न, व्रत रखकर मांगा संतान व परिवार रक्षा का वर

आस्था वविश्वास का महापर्व है-छठ पूजा संपन्न
बलिया(उत्तर प्रदेश) से वरिष्ठ संवाददाता -प्रदीप बच्चन की खास रिपोर्ट।


छठ मईया की महिमा,जाने सकल जहान।
“दीप जलाकर पूजे, सदा करी कल्याण।
विकास खण्ड -मनियर अंतर्गत ग्राम सभा -चंदायर, बहदुरा,कसमापुर,बालुपुर,महाथापार/उपाध्यायपुर,खरीद,काजीपुर, पुरुषोत्तम पट्टी,निपनिया इत्यादि के,सैकड़ों गांवों की महिला/पुरुषों द्वारा श्रद्धा व विश्वास का महा पर्व छठ पूजा हर्षो उल्लास के साथ मनाया गया।
छठ व्रत यानी इनकी पूजा कार्तिक मास में आमवस्या के दीपावली के छठे दिन मनाया जाता है इसलिए इसका नाम छठ पर्व पड़ गया। छठ व्रत भगवान सूर्यदेव को समर्पित एक हिंदुऔं का विशेष पर्व है। भगवान सूर्यदेव के शक्तियों के मुख्य स्त्रोत उनकी पत्नी उषा औऱ प्रत्यूषा है। यह पर्व उतर भारत के कई हिस्सों में खासकर यू.पी. झारखंड और बिहार में तो महापर्व के रुप में मानाया जाता है। शुद्धता, स्वच्छता और पवित्रता के साथ मनाया जाने वाला यह पर्व आदिकाल से मनाया जा रहा है। छठ व्रत में छठी माता की पूजा होती है और उनसे संतान व परिवार की रक्षा का वर मांगा जाता है। ऐसी मान्यता है कि जो भी सच्चे मन से छठ मैया का व्रत करता है। उसे संतान सुख के साथ-साथ मनोवांछित फल जरुर प्राप्त होता है।

पूजा करती महिलाएं


यह पर्व हर वर्ष मे दो बार,चैत एवं कार्तिक महिने में मनाया जाता है जिसे क्रमशः चैती छठ एवं कार्तिकी छठ कहते हैं। कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष में दीवाली के चौथे दिन,नहाय/खाए से शुरु होकर सातवें दिन तक कुल 4 दिनों तक मानाया जाता है। इसमें पहले दिन यानी चतुर्थी को घऱबार साफ सुथरा करके स्नान करने के बाद खाना में चावल तथा चने दाल तथा लौकी का सादा सब्जी बनाया जाता है। और उसे व्रती खाते हैं। जिसे नहाये/ खाये कहते है। अगले दिन संध्या में पंचमी के दिन खरना यानी के गुड़ में चावल का खीर बनाया जाता है। उपले और आम के लकड़ी से मिट्टी के चूल्हें पर फिर सादे रोटी और केला के साथ छठ माई को याद करते हुए अग्रासन निकालने के बाद धूप हुमाद के साथ पूजा के बाद पहले व्रती खाती है फिर परिवार के अन्य सदस्य खाते हैं। इसी के साथ मां का आगमन हो जाता है।घर में पवित्रता एवं शुद्धता के साथ उत्तम पकवान बनाये जाते हैं। संध्या के समय पकवानों को बड़े बडे बांस के डालों तथा टोकरियों में भरकर नदी, तालाब, सरोवर आदि के किनारे ले जाया जाता है।जिसे छठ घाट कहा जाता है। फिर व्रत करने वाले भक्त उन डालों को उठाकर डूबते सूर्य(अस्ताचल ) के समय सूरज की अंतिम किरण प्रत्यूषा को आर्घ्य देते हैं। ताकि जाते हुए माता सभी दुख दर्द लेती जाये और फिर सूर्यास्त के पश्चात लोग अपने-अपने घर आ जाते हैं।

छठ व्रत के दौरान रात भर जागरण किया जाता है और सप्तमी के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में पुन: संध्या काल की तरह डालों में पकवान, नारियल, केला, मिठाई भर कर नदी तट पर लोग जमा होते हैं। व्रत करने वाले सभी व्रतधारी
सुबह के समय उगते सूर्य (उदय़मान) की किरणें उषा को आर्घ्य देते हैं ताकि जीवन में नई उर्जा का पुनः संचार होता है।यह पर्व कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाई जाती है। और यह भगवान सूर्य को समर्पित है। कुल मिलाकर यह “डाला छठ पूजा”शांतिपूर्ण रूप से संपन्न हो गया।छठ व्रतियों ने हमारे वरिष्ठ संवाददाता -प्रदीप बच्चन को बताया कि..हम सर्व मनोकामनाओं के साथ ही,संतान प्राप्ति,पति की लंबी उम्र,सुखमय जीवन के लिए यह छठ पूजा करते हैं।

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राजस्थान में सर्दी की छुट्टियां घोषित: 25 दिसंबर से 5 जनवरी तक स्कूल रहेंगे बंद

असमंजस की स्थिति खत्म, 25 दिसंबर से शीतकालीन अवकाश घोषित – SCHOOL WINTER HOLIDAYS

राजस्थान के स्कूलों में शीतकालीन अवकाश 25 दिसंबर 2024 से 5 जनवरी 2025 तक होगा. शिक्षा मंत्री ने इस संबंध में आधिकारिक घोषणा की.

जयपुर : राजस्थान में शीतकालीन अवकाश शिविरा पंचांग के अनुसार 25 दिसंबर से ही शुरू होंगे. शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने इस संबंध में आधिकारिक घोषणा कर दी है. बढ़ती सर्दी को ध्यान में रखते हुए सभी सरकारी और निजी स्कूलों में यह अवकाश रहेगा. शिविरा पंचांग के अनुसार शीतकालीन अवकाश 25 दिसंबर 2024 से 5 जनवरी 2025 तक होगा.दरअसल, अगस्त में शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने कहा था कि कड़ाके की सर्दी पड़ने पर स्कूलों में अवकाश का निर्णय लिया जाएगा. हालांकि, शिविरा पंचांग में अवकाश की तिथि पहले ही निर्धारित थी, जिससे छात्रों और अभिभावकों के बीच असमंजस की स्थिति थी. अब शिक्षा विभाग ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अवकाश 25 दिसंबर से शुरू होगा.

ठंड के चलते फैसला : शिक्षा मंत्री ने कहा कि सर्दी के प्रभाव को ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया गया है ताकि बच्चों की सेहत पर कोई असर न हो. राजस्थान के कई हिस्सों में तापमान 7 डिग्री से नीचे जा चुका है. विशेष रूप से उत्तरी और पश्चिमी क्षेत्रों में सुबह-शाम ठंडी हवाओं के कारण बाहर निकलना मुश्किल हो गया है. हर साल की तरह इस बार भी शीतकालीन अवकाश 25 दिसंबर से शुरू होगा. स्कूलों में यह अवकाश 5 जनवरी 2025 तक रहेगा.

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बिजली उपभोक्ताओं के लिए राहत की खबर, अब रीडिंग डालते ही निकलेगा बिल, समय की होगी बचत

प्रदेश के तीनों डिस्कॉम क्षेत्रों में एक जनवरी से स्पॉट बिलिंग शुरू होगी। राज्य सरकार से सहमति मिलने के बाद अब पूरे प्रदेश में 1 जनवरी से यह व्यवस्था लागू की जाएगी। उपभोक्ताओं के बिजली बिल मौके पर ही जनरेट होने से बिना रीडिंग बिल आने व एवरेज बिल थमाने जैसी शिकायतों से छुटकारा मिलेगा।

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स्वर्णकार सेवा समिति ने अनाथ बच्चों को बांटे स्वेटर और मिठाई, सर्दी में दिखाया मानवता का परिचय

भीनमाल। मालवाड़ा स्थित स्वामी आत्मानंद सरस्वती अनाथ आश्रम विद्यालय में स्वर्णकार सेवा समिति ने समाज सेवा का एक अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया। समिति द्वारा 75 अनाथ बच्चों को स्वेटर और मिठाई वितरित की गई। समिति के अध्यक्ष मुकेश सोनी पांचला ने बताया कि सर्दी के मौसम में ठंड से बचने के लिए स्वेटर की आवश्यकता होती है, और आश्रम में रहने वाले जिन बच्चों के पास स्वेटर नहीं थे, उनकी जरूरत को ध्यान में रखते हुए यह एक प्रभावी कदम उठाया गया।

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