DM Story: संभल को संभालने वाले डीएम कौन? स्कूल टीचर से बने IAS
UPSC Success Story: अगर आपमें जुनून और मेहनत करने की लगन है तो कोई भी चुनौती बड़ी नहीं होती। ऐसी ही प्रेरणादायक कहानी है। ऐसी ही एक शख्स जिन्होंने अपने करियर की शुरुआत एक स्कूल टीचर के तौर पर की और अपने सपनों को साकार करते हुए आईएएस बनने तक का सफर तय किया।
UPSC Success Story, Sambhal DM, IAS Rajender Pensiya : ये कहानी जिस इंसान की है. वह कोई और नहीं, बल्कि इस समय उत्तर प्रदेश के सबसे चर्चित जिले संभल के जिलाधिकारी की है. जी हां, वही संभल, जहां जामा मस्जिद को लेकर विवाद चल रहा है. वही संभल, जहां तरह तरह की अफवाहों ने तीन लोगों की जान ले ली. जिसके बाद यहां के जिलाधिकारी ने न केवल बाहर व्यक्तियों का प्रवेश निषेध कर दिया, बल्कि इंटरनेट भी बंद करा दिया. स्कूल कॉलेज भी अगले आदेश तक बंद रखने के निर्देश जारी कर दिए. यहां के जिलाधिकारी का नाम है डॉ. राजेंद्र पेंसिया.
शिक्षक से प्रशासनिक सेवा तक का सफर
डॉ. राजेंद्र पेंसिया ने अपने करियर की शुरुआत शिक्षक के रूप में की, लेकिन उनका लक्ष्य बड़ा था। अपनी मेहनत और संकल्प के बल पर उन्होंने यूपीएससी परीक्षा की तैयारी की और सफलता प्राप्त की। बीडीओ (ब्लॉक डेवलपमेंट ऑफिसर) और एसडीएम (सब डिविजनल मजिस्ट्रेट) के पदों पर कार्य करते हुए उन्होंने प्रशासनिक सेवा में अपनी काबिलियत साबित की। आखिरकार, उन्होंने भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) में कदम रखा और अब उत्तर प्रदेश के सबसे संवेदनशील जिलों में से एक, संभल का नेतृत्व कर रहे हैं।
BDO, SDM से IAS तक:
शिक्षक से प्रशासनिक अधिकारी बनने के इस सफर में उन्होंने पहले ब्लॉक डेवलपमेंट ऑफिसर (BDO) और फिर सब डिविजनल मजिस्ट्रेट (SDM) के पद पर काम किया। इन पदों पर अपने उत्कृष्ट प्रदर्शन और कड़ी मेहनत के चलते उन्होंने अपनी प्रशासनिक क्षमता को साबित किया। इसके बाद उन्होंने यूपीएससी परीक्षा पास कर देश के सबसे प्रतिष्ठित सेवा IAS में अपनी जगह बनाई।
संभल के डीएम के रूप में योगदान
संभल के डीएम बनने के बाद उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य, और विकास के क्षेत्र में कई बड़े सुधार किए। उनके नेतृत्व में जिले में न केवल प्रशासनिक व्यवस्था बेहतर हुई, बल्कि उन्होंने ग्रामीण विकास, महिलाओं के उत्थान और युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान करने के लिए भी कई कदम उठाए।
प्रेरणा का स्रोत:
संभल के डीएम की यह कहानी यह संदेश देती है कि परिस्थितियां चाहे जैसी भी हों, अगर आप मेहनत और लगन से अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते हैं, तो कोई भी आपको सफलता प्राप्त करने से नहीं रोक सकता।
उनकी यह यात्रा उन सभी लोगों के लिए प्रेरणा है, जो साधारण पृष्ठभूमि से आते हैं और असाधारण सफलता प्राप्त करने की ख्वाहिश रखते हैं।
5वीं बार में पास की UPSC
यूपीएससी परीक्षा में चार बार की असफलताओं के बाद भी राजेन्द्र ने हार नहीं मानी. आखिरकार पांचवीं बार उन्हें सफलता मिल ही गई. वर्ष 2015 की यूपीएससी परीक्षा में उन्होंने 345वीं रैंक हासिल की. इस तरह उनका चयन आईएएस के लिए हो गया.