बगीचे से स्वच्छता व पर्यावरण के प्रति विद्यार्थी हुए जागरूक
सायला। निकटवर्ती बावतरा के महात्मा गांधी राजकीय विद्यालय परिसर की वो बंजर भूमि एक साल पहले विद्यालय में जो खाली पड़ी थी, अब उसी जमीन पर एक सुंदर बगीचा दिखाई देता है तथा विद्यालय में प्रवेश करते ही हरियाली सी दिखने लगती है दीवारों पर भी एक अनोखा रंगरोधन किया हुआ मिलता है,चारों ओर रंग बिरंगे फूलों के सौंदर्य ने स्कूल की छवि में चार चांद लगा दिए हैं, हाथों से बनाए गए गमले जिसमें कहीं रंग- बिरंगे फूलों से सज्जित मिलते है, खेल मैदान में विभिन्न खुश्बूदार पौधो से लेकर छायादार व फलदार वृक्ष भी नजर आते हैं. यह तस्वीर विद्यालय में कार्यरत विद्यालय सहायक देवराज सिंह व बच्चो और ग्रामीणों की आपसी मेहनत का नतीजा है. विशेष बात यह है कि इतना सुंदर बगीचा बनाने के लिए बच्चों के पास से एक रुपया भी नही लिया गया है, आमतौर पर देखा जाता है की कई ऐसे काम होते है जिसमें प्रत्येक बच्चें के अभिभावक से चंदे के तौर पर आर्थिक सहयोग लिया जाता है और विकास कार्य करवाया जाता है। इन पौधों की सुरक्षा के लिए अपने व्यय पर तार जाली खरीद कर फेंसिंग कराई गई है। ग्रामीणों से बातचीत करने पर पता चला की अवकाश के दिन भी शिक्षक देवराज सिंह इन पौधो की हिफाजत के लिए विद्यालय में ही दिखाई देते है
“स्कूल के पाठ्यक्रम में पर्यावरण के विषय तो पढ़ाए ही जाते हैं, लेकिन नैतिक शिक्षा की प्रेरणा से उन्होंने पहली बार पर्यावरण के मुद्दे को पुस्तकों से बाहर निकाला और इसे व्यावहारिक रूप से अपनाया है।”
प्रधानाचार्य गणेशा राम
शिक्षक और विद्यार्थियों के मन में आया विचार, किया क्रियान्वित और अब मनमोहक बगीचा तैयार
मनुष्य के विचार में बहुत ताकत होती है, इंसान जैसा सोचता है वैसा कर भी सकता है, उन्हीं विचारों को,सोच को अमल में लाया जाए तो। इस संसार में जो भी होता है जो भी करते हैं वह सब विचार शक्ति से ही होता है। इसका एक उदाहरण विद्यालय के विद्यार्थी व शिक्षक बताते है।
बताते है की विद्यालय नैतिक शिक्षा को व्यावहारिक तौर पर अपनाने के लिए कुछ गतिविधियां आयोजित करता है. इसमें पेड़-पौधे लगाने, उन्हें बचाने और सही उपयोग के बारे में बताया जाता है. ऐसी ही एक गतिविधि के दौरान स्कूल के बाहर मैदान में लगे कुछ वृक्षों को देखकर यहां के विद्यालय सहायक देवराज सिंह और बच्चों के मन में एक विचार आया कि क्यों न हम इस मैदान की भूमि में एक ऐसा बगीचा तैयार करे, जिससे स्कूल की शोभा बढ़े.फिर क्या था विद्यालय द्वारा विचार को अमल में लाया गया और आज मनमोहक बगीचा तैयार हो गया।
‘एक पंथ दो काज’ के मध्यनजर हुआ काम
बगीचा लगाने के पीछे एक दूसरा मकसद ये भी था. इन सब से पाठ्यक्रम सहित अन्य गतिविधियां पूरी होती रहेगी। इन गतिविधियों में श्रम का महत्त्व भी बताया गया है, इसलिए हम चाहते थे कि बच्चे श्रम का महत्व जानें. इसके लिए हमने उनसे श्रम तो नहीं कराया, मगर पूरे काम के दौरान उन्हें साथ रखा, जिससे वे देखें कि जमीन खोदकर किस तरह पत्थर निकाले, गड्डों में किस तरह खाद-मिट्टी डाली, किस तरह पौधे रोपे और उनमें पानी दिया जाए. इस स्कूल में पहली से बारहवीं तक 560 बच्चे पढ़ते हैं.
वृक्षारोपण भी एक महत्वपूर्ण गतिविधि हो सकती है, जो पर्यावरण के अनुकूल तो रहेगी ही, बच्चों की भागीदारिता भी बढ़ेगी.
बगीचे से स्वच्छता व पर्यावरण के प्रति विद्यार्थी हुए जागरूक
शिक्षक कहते है की अब बगीचा है तो हमें बच्चों को यह बताने की जरूरत नहीं पड़ती कि इसे साफ-सुथरा रखो, पेड़- पौधों को पानी दो, उसमें प्लास्टिक की चीजों को मत फेंको. मतलब बगीचे के बहाने बच्चे बहुत सारी बातों को एक साथ अपने आप ही सीख रहे हैं. इस तरह की गतिविधियों में शामिल होने के बाद वे पर्यावरण को लेकर पहले से ज्यादा सजग हो गए हैं. बच्चे पानी का सही इस्तेमाल करना सीख रहे हैं, विद्यालय को स्वच्छ व स्वस्थ वातावरण मिलेगा। यह सब बातें उन्हें पर्यावरण से संबंधित गतिविधियों में बताई जा रही हैं।
शिक्षकों ने अपने वेतन से आर्थिक सहायता कर लगाए पेड़-पौधे, ग्रामीणों ने की प्रशंसा
जो आज विद्यालय मैदान में लहलाता हुआ बगीचा खड़ा है इनको बनाने में विद्यालय स्टाफ ने अपने वेतन से कुछ आर्थिक सहयोग किया। इससे साथ-साथ बच्चों ने भी अपने घर पर मौजूद पौधों में से जो ला सके वो लाए गए। इसी तरह विद्यालय की काया पलट हो रही है। ग्रामीण इस कार्य को देख विद्यालय परिवार की प्रशंसा की। वही नैतिकता को बढ़ावा देने वाली विशेष गतिविधियों का नतीजा मानते हैं।
बगीचे को और सुंदर व आकर्षित बनाने के लिए अब गांव वालों का भी मिला साथ
बच्चों को पूछने पर ज्ञात हुआ कि अब इस बगीचे को और बढ़ाने वाले हैं। इसके लिए एक परिसर बनाकर एक गेट लगाने की तैयारी की जा रही है। उसके उपरांत इसमें कई सारे पेड़- पौधे लगाएंगे।
शिक्षक देवराज सिंह ने बताया कि बगीचे को और सुदंर बनाने के लिए हमें गांव वालों का साथ मिला है। इस काम के लिए वे श्रमदान देंगे.साथ ही, वे चंदा भी जमा करवाएंगे। आगे बताते है की जब इस विद्यालय में आए तब उन्हें ये महसूस हुआ की खेल मैदान में पेड़-पौधे होने चाहिए आज खेल मैदान में 150 पौधे लगाकर उसमे बूंद-बूंद सिंचाई से की व्यवस्था पानी दिया जाता है।
फूलों की खुशबू से महक रहा स्कूल परिसर
स्टाफ की दृढ़ इच्छा शक्ति के चलते स्कूल परिसर में सुंदर गार्डन तैयार है। क्यारियों में एवं गमलों में गेंदा की एक दर्जन प्रजापतियों, गुलाब, बारहमासी सहित विभिन्न प्रजापतियों के फूल लहलहा कर स्कूल को महका रहे हैं। इनके अलावा परिसर में नीम, सेम,आंवला,इमली,बरगद गुजराती नीम गुलमोहर शीशम और बादाम के पौधे भी लगाए गए हैं। जाे अब तेजी से बड़े हो रहे हैं।ग्रामीणों ने जैसे जैसे इन पौधो को देखा वैसे उन्होंने ट्री गार्ड भी भेट देना प्रारंभ किया और हरियाला विद्यालय अभियान को सफल बनाने में।लग गए
बच्चों को स्कूल में मिलेगा सुंदर वातावरण
सरपंच पारसमल राजपुरोहित ने बताया कि स्कूल परिसर खाली व सूना पड़ा था। फूलों के माध्यम से स्कूल सुंदर दिखने लगा, फूलों की खुशबू से मन तरोताजा रहेगा। साथ ही सुंदर एवं आकर्षक वातावरण मिलने से बच्चों के मन मस्तिष्क पर भी अच्छा असर पड़ेगा।
हम इसके माध्यम से बच्चों को फूलों के बारे में प्रेक्टीकली बता सकेंगे, जीवन में उनके लाभ बता सकेंगे। उन्होंने कहा कि हर सरकारी स्कूल के शिक्षकों को निहित स्वार्थों से ऊपर उठकर अच्छा एवं अनुकरणीय कार्य करना चाहिए। इस उत्कृष्ट कार्य के लिए विकसित भारत संकल्प यात्रा के दौरान इनको उपखंड अधिकारी द्वारा प्रशस्ति पत्र भी प्रदान किया जा चुका है।
विद्यालय सहायक देवराज सिंह को इस उत्कृष्ट कार्य के लिए एसडीएम के हाथों सम्मानित भी हो चुके है।
ग्राम पंचायत बावतरा के सरपंच श्री पारसमल राजपुरोहित ने बताया कि ग्राम पंचायत में कार्यरत होने पर भी देवराज सिंह ने इस प्रकार पर्यावरण के प्रति जागरूक संदेश दिया और गांव में सार्वजनिक स्थलों पर लगभग 500 से पौधे लगवाए गए और ग्राम पंचायत परिसर में हराभरा सुंदर बगीचा तैयार किया। वही अब स्कूल में भी इस प्रकार से अनुकरणीय कार्य किया। जिसको लेकर विकसित भारत संकल्प यात्रा के तहत आयोजित कार्यक्रम में एसडीएम ने उत्कृष्ट कार्य के लिए इनको प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया है।
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