सांचौर बंद का असर : पूर्व मंत्री सुखराम बिश्नोई के पैतृक गांव केरिया में बंद का दिखा असर पूर्णतया गांव रहा बंद, स्कूली बच्चों संग ग्रामीणों ने स्कूल पर ताला लगाकर किया प्रदर्शन
सांचौर में आज चक्का जाम, स्कूल-बाजार बंद, पूर्व मंत्री के इशारे पर सड़कों पर उतरे सैकड़ों लोग
केरिया (सांचौर)। गहलोत सरकार में बनाए गए नए जिलों की भजनलाल सरकार समीक्षा करवा रही है. लोगों को डर है कि सांचौर जिला रद्द किया जा रहा है. सरकार को यह फैसला लेने से रोकने के लिए पूर्व मंत्री समेत सैकड़ों लोग चार दिनों से आंदोलन कर रहे हैं। आज सांचौर बंद के आह्वान पर आज सुखराम बिश्नोई के पैतृक गांव भी पूरा समर्थन में उतरा। आज पूरा गांव सांचौर बंद के समर्थन में बंद रहा। जिसमे दुकानें और निजी स्कूल से लेकर सरकारी स्कूल भी बंद रहे। स्कूली छात्रों ने भी स्कूलों के बाहर और रैली निकालकर विरोध-प्रदर्शन किया। ग्रामीणों ने बताया कि नवगठित सांचौर जिला मुख्यालय जालोर जिला मुख्यालय से 154 किलोमीटर दूर है.
इसी दूरी को ध्यान में रखते हुए सांचौर को नया जिला बनाया गया है. ये जिला गुजरात राज्य की सीमा व कच्छ रण से लगता है. सांचौर जिला नेशनल हाइवे-68 व भारतमाला प्रोजेक्ट से जुड़ा हुआ है. सांचौर को जिला घोषित करते समय तमाम तथ्यों को ध्यान में रखकर जिला बनाया गया है। सांचौर जिला बनने के लिए हर मापदंड पूरा करता है।
इस दौरान उत्तमदास वैष्णव, भगवानाराम (बांडा), भागीरथ एम साऊ, प्रकाश जे जांगू, जोगसिंह चौहान, राणसिंह राजपूत, जगदीश पारीक, प्रवीण परमार, भाणसिंह राजपूत, निंबाराम चौधरी, खंगारा राम देवासी, डूंगराराम माली, भागीरथ बिश्नोई, करण साऊ, सदाराम भील, प्रेमदास संत, सांवलाराम मेघवाल, रामाराम विश्नोई, मुकेश पुरोहित, सुरेश राजपुरोहित, उत्तम लोहार, हरीश हरिजन, भोमाराम मेघवाल, प्रेमाराम राणा सहित बड़ी तादात में लोग सांचौर बंद में शामिल होने के लिए सांचौर रवाना हुए।
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